आजकल अलग ही राह पर चल रहा हूँवजह नहीं कोई, अनायास ही चल रहा हूंज़िंदगी और मौत में फ़र्क नहीं कोईसच पूछो तो, एक जिंदा लाश चल रहा हूँ चारों तरफ मौत का सन्नाटा हैछाया है घनघोर अँधेरामौत बरस रही है बादलों सेइन खाली शहरों में बेकल अवाक घूम रहा हूँ दूरदर्शी जब दूर तक... Continue Reading →